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मंगलवार, 10 जुलाई 2018

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रसायनशास्त्र विज्ञान की वह शाखा है जिसमें पदार्थों के संघटन, संरचना, गुणों और रासायनिक प्रतिक्रिया के दौरान इनमें हुए परिवर्तनों[1] का अध्ययन किया जाता है। इसका शाब्दिक विन्यास रस+अयन है जिसका शाब्दिक अर्थ रसों (द्रवों) का अध्ययन है। यह एक भौतिक विज्ञान है जिसमें पदार्थों केपरमाणुओं, अणुओं, क्रिस्टलों (रवों) और रासायनिक प्रक्रिया के दौरान मुक्त हुए या प्रयुक्त हुए ऊर्जा का अध्ययन किया जाता है।

संक्षेप में रसायन विज्ञान रासायनिक पदार्थों[2] का वैज्ञानिक अध्ययन है। पदार्थों का संघटन परमाणु या उप-परमाण्विक कणों जैसे इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन[3] से हुआ है। रसायन विज्ञान को केंद्रीय विज्ञान या आधारभूत विज्ञान भी कहा जाता है क्योंकि यह दूसरे विज्ञानों जैसे, खगोलविज्ञान, भौतिकी, पदार्थ विज्ञान, जीवविज्ञान और भूविज्ञान को जोड़ता है।


दस सर्वाधित प्रयुक्त रसायन

रासायनिक पदार्थउत्पादों की संख्यामात्रा (टनों में)
पानी26,5092,355,650
टाइटेनियम डाईआक्साइड4,46361,790
जाइलीन (Xylene)4,27128,568
2-Methyl-4-isothiazolin-3-one2,95339
आइसोप्रोपेनॉल2,88118,116
ब्यूटिल एसीटेट2,70014,186
1,2-Benzisothiazolin-3-one2,66198
औसत एरोमटिक विलायक नेप्था2,43916,307
एथनॉल (Ethanol)2,368443,912
5-Chloro-2-methyl-4-isothiazolin-3-one2,30032


केमिस्ट्री की शब्दोत्पत्ति - भाषा वैज्ञानिक दृष्टि
भाषा विज्ञान की दृष्टि में केमिस्ट्री की मूल धातु Chemy की व्युत्पत्ति यूनानी भाषा के खीमिया (Khymeia) से हुई है जिसका तात्पर्य है - 'धातु निर्माण की यूनानी तकनीक'।
अन्य मान्यतानुसार केमी का अर्थ - परस्पर एक दूसरे में मिलाना।
केमिस्ट्री की मूल धातु Chemy की समानता चीनी शब्द Kim से है, अर्थात् धातुओं के रूपांतर की कला। इसका एक रूप चिन (Chin) है।
अरबी और ग्रीक में Chemy शब्द वस्तुतः चीनी भाषा के Kim के रूपांतर है। चीनी (मेंडारिन भाषा) में Chimmi शब्द का अर्थ 'सोना गलाना' है।
केमिस्ट्री के अन्तर्गत मोटे तौर पर तत्व और यौगिक के रूपांतरण, निर्माण और उनके गुणधर्मो का अध्ययन किया जाता है।
अन्य मान्यतानुसार केमिस्ट्री स्पेनिश भाषा के अलकेमी (Alchemy) से आया माना जाता है जो अरबी के अल-कीमिया (al-kimia) से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ - रूपांतरण है।
यद्यपि केमी शब्द की उत्पत्ति के विभिन्न मत है, परंतु इसके बाद भी यह निश्चित है कि इस शब्द का मूलाधार एक ही है। इससे मिलते-जुलते शब्द पूर्व मध्य एशिया और यूरोप की भाषाओं में मिलते हैं अतः इस तथ्य की पुष्टि होती है।
इसके अतिरिक्त आयुर्वेद में भी 'रसायन' शब्द का बहुतायत से प्रयोग हुआ है। आयुर्वेद में पारा को 'रसराज' यानी रसों का राजा तथा पारे से निर्मित औषधियाँ 'रसायन' कहलाती थीं। रसायन से 'रसशास्त्र' बना है।
रसायन विज्ञान, रसायनों के रहस्यों को समझने की कला है। इस विज्ञान से विदित होता है कि पदार्थ किन-किन चीजों से बने हैं, उनके क्या-क्या गुण हैं और उनमें क्या-क्या परिवर्तन होते हैं।
सभी पदार्थ तत्वों से बने हुए हैं। भारतीय विद्वान दार्शनिकों ने उद्घोषित किया कि पदार्थ की रचना पंच महाभूतों, यथा- आकाश, वायु, जल, तेज तथा पृथ्वी से हुई है। वहीं यूनानी विचारकों के अनुसार पदार्थो की रचना चार प्रकार के तत्वों, यथा - पृथ्वी, वायु, जल तथा अग्नि से हुई है।
यूरोप में रसायन विज्ञान का प्रारंभ 12वीं शताब्दी में थियोफिलस से हुआ।
15वीं-16वीं शताब्दी में पैरासेलस (1493-1541 ई.) ने औषधि रसायन के क्षेत्र में कार्य किया।
16वीं-17वीं शताब्दी में फ्रांसिस बैकन (1561-1636 ई.) ने आधुनिक रसायन विज्ञान की आधारशिला रखी।
भारत में रसायन विज्ञान का इतिहास अत्यन्त प्राचीन है। भारतीयों को हड़प्पा-पूर्व काल (4000 ईसापूर्व) से ही रसायन विज्ञान और रसायन प्रौद्योगिकी का ज्ञान था। इतिहास में भारतीय इस्पात की श्रेष्ठता के कई उल्लेख मिलते है। दिल्ली का लौहस्तंभ तथा बिहार के भागलपुर जिले में स्थित बुद्ध की ताम्र प्रतिमा इसके ज्वंलत उदाहरण है।
रसायन विज्ञान के क्षेत्र

रसायन विज्ञान की भी कई शाखाएं हैं जिन्हें पदार्थों के अध्ययन के दौरान बांटा गया है। रसायन विज्ञान की शाखाओं में कार्बनिक रसायन, अकार्बनिक रसायन, जैव रसायन, भौतिक रसायन, विश्लेषणात्मक रसायनआदि प्रमुख हैं।

कार्बनिक रसायन में कार्बनिक पदार्थों, अकार्बनिक रसायन में अकार्बनिक पदार्थों, जैव रसायन में सुक्ष्म जीवों में उपस्थित पदार्थों, भौतिक रसायन में पदार्थ की बनावट, संघटन और उसमें सन्निहित ऊर्जा, विश्लेषणात्मक रसायन में नमूने के विश्लेषण का अध्ययन किया जाता है ताकि उसकी बनावट और संचरना का पता चले। हाल के दिनों में न्यूरो-रसायन जैसी रसायन की कुछ और शाखाओं का उदय हुआ है।

रसायन विज्ञान का क्षेत्र बहुत व्यापक है तथा दूसरे विज्ञानों के समन्वय से प्रतिदिन विस्तृत होता जा रहा है। फलत: आज हम भौतिक एवं रसायनभौतिकी, जीव रसायन, शरीर-क्रिया-रसायन, सामान्य रसायन, कृषि रसायन, आदि अनेक नवीन उपांगों में रसायन विज्ञान का अध्ययन देखते हैं।

अध्ययन की सुविधा के लिए हम रसायन विज्ञान कई शाखाओं में वर्गीकृत करते हैं-1. अकार्बनिक रसायन2. कार्बनिक रसायन3. भौतिक रसायन3. वैश्लेषिक रसायन4. जीव रसायन5. औद्योगिक रसायन6. औषधीय रसायन7. नाभिकीय रसायन8. कृषि रसायन (Green Chemistry)9. पर्यावरणीय रसायन (Environmental Chemistry)10. हरित रसायन (Green Chemistry)

इनके अलावा भूरसायन, खगोलरसायन, बहुलक रसायन, क्लस्टर रसायन, विद्युत् रसायन, पर्यावरण रसायन, आहार रसायन, सामान्य रसायन, नैनो रसायन, ठोस अवस्था रसायन, ऊष्मारसायन आदि अन्य शाखायें हैं।



रसायन विज्ञान और हमारा जीवन

मानव जीवन को समुन्नत करने में रसायन विज्ञान का अक्षुण्ण योगदान है। मानव जाति के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए रसायन विज्ञान का विकास अनिवार्य है। यह तभी संभव होगा जब आमजन इस विज्ञान के प्रति आकर्षित होगा। इस विज्ञान का विवेकपूर्ण उपयोग करना ही समय की मांग है।
सम्पूर्ण ब्रह्मांड रसायनों का विषद् भण्डार है। जिधर भी हमारी दृष्टि जाती है, हमें विविध आकार-प्रकार की वस्तुएं नजर आती हैं। समूचा संसार ही रसायन विज्ञान की प्रयोगशाला है। यह विज्ञान अनेकों आश्चर्यचकित रसायनों से परिपूर्ण है। ब्रह्मांड में रासायनिक अभिक्रियाओं के द्वारा ही तारों की उत्पत्ति, ग्रहों का प्रादूर्भाव तथा ग्रहों पर जीवन संभव हुआ हैं।
रसायन विज्ञान को जीवनोपयोगी विज्ञान की संज्ञा भी दी गई है, क्योंकि हमारे शरीर की आंतरिक गतिविधियों में इस विज्ञान की महती भूमिका हैं।
पृथ्वी पर समस्त ऊर्जा का एकमेव स्रोत सूर्य है जो विगत लगभग 5 अरब वर्षो से रोशनी तथा ऊष्मा दे रहा है, पेड़-पौधे उग रहे हैं, जीव-जंतु चल फिर रहे हैं, बादल घुमड़ पेड़-पौधे उग रहे हैं, जीव-जंतु चल फिर रहे हैं, बादल घुमड़ रहे हैं, कहीं आकाषीय विद्युत् की चमक तथा कड़क है, कहीं आँधी तो कहीं तूफान अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं, कहीं भूकंप तो कहीं सुनामी की घटनाएं घटित हो रही हैं।
इन सभी घटनाओं में रसायन ही अपना करतब दिखा रहे हैं।
ये सभी किसी न किसी पदार्थ से निर्मित हैं, जो ठोस, द्रव या गैस रूप में होते हैं परंतु हैं ये भी रसायन।
हमारे जीवन का कोई भी पक्ष रसायनों से अछूता नहीं है।
वैज्ञानिकों ने हमारे जीवन को भी रासायनिक क्रिया की संज्ञा दी है।
जीवन के समस्त लक्षण रासायनिक प्रक्रियाओं की अनुगूंज हैं।
सजीवों में पोषण, वृद्धि, पाचन, उत्सर्जन, प्रजनन की प्रक्रियाएं रासायनिक अभिक्रियाएं ही है।
मानव के संवेदी अनुभवों जैसे, शब्द स्पर्श, रूप, रस तथा गंध, इन सभी के पीछे रासायनिक क्रियाएं उत्तरदायी हैं।
वस्तुतः रसायन विज्ञान का संबंध हमारे दैनिक जीवन से है।
शुरुआत हम सुबह की चाय से करते हैं जो कि दूध, चीनी, चाय-पत्ती के साथ उबला हुआ जलीय घोल है।
रोटी, कपड़ा और मकान जैसी बुनियादी आवष्यकताएं पूरी करने में रसायनों की भूमिका है।
हम जहाँ कहीं भी देखते हैं, रसायनें के नजारे ही दिखते हैं।
दैनंदिन उपयोग की चीजें, जैसे - साबुन, तेल, ब्रश, मंजन, कंघी, शीशा, कागज, कलम, स्याही, दवाइयां, प्लास्टिक आदि रसायन विज्ञान की ही देन हैं।
धर्म-कर्म, पूजा-पाठ, स्नान, धूप-दीप, नैवेद्य, अगरबत्ती, रोली, रक्षा तथा कर्पूर इत्यादि सब में रसायन व्याप्त हैं।
उत्सवों तथा तीज त्यौहारों में दीये, मोमबत्ती तथा पटाखों के पीछे भी रसायन व्याप्त हैं।
यातायात, दूरसंचार, परिवहन तथा ऊर्जा के विविध स्रोत जैसे - कोयला, पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल, नैप्था एवं

भोजन पकाने की गैस भी विविध रासायनिक यौगिकों के उदाहरण हैं।
मानव जीवन को आरामदायक बनाने में रसायन विज्ञान ने अप्रतिम भूमिका निभाई है।
हमारे दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाले औजार, उपकरण तथा युक्तियाँ जैसे - कुर्सी, मेज, टी.वी. फ्रिज, घड़ी, कुकर, इस्तरी, मिक्सर, ए.सी., चूल्हा, बर्तन, रंग-रोगन (पेंट्स), कपड़े, वर्णक (पिगमेंट्स) तथा रंजक (डाइज) अपमार्जक (डिटर्जेंट्स), कीटनाशक, विविध सौन्दर्य प्रसाधन अपमार्जक (डिटर्जेंट्स), कीटनाशक, विविध सौन्दर्य प्रसाधन सामग्रियां आदि सभी में रसायन विज्ञान का ही अवदान हैं।
वस्तुतः रसायनों का संबंध प्रत्येक गैस, द्रव या ठोस पदार्थ से है। जिस वातावरण में हम रहते हैं तथा सांस लेते हैं वह विविध रसायनों से ही निर्मित है। वायुमंडल में नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, आर्गन आदि गैसें विद्यमान रहती हैं।
रोगोपचार में रसायन विज्ञान

चिकित्सा विज्ञान की प्रगति रसायन विज्ञान की ही देन है। वर्तमान में 75 प्रतिशत औषधियों का संश्लेषण रासायनिक पदार्थो से हुआ है। आज लगभग 4000 ज्ञात औषधियाँ हैं परंतु रोगों की संख्या 30,000 के लगभग है। अतः भविष्य में रोगशमन हेतु रसायन विज्ञान का प्राधान्य है।
औषधियों का वर्गीकरण
1. सिरदर्द एवं अन्य वेदनानाशक
2. जलने की दवाएं
3. जुकाम खाँसी रोधक
4. निर्जनीकारक
5. मृदुविरेचक (Laxatives)
6. मूर्च्छाकारी, संवेदनहारी औषधियां
7. उत्तेजक (Stimulants)

सिरदर्द : ऐस्पिरिन (C9H8O4) - alicylic Acid का ऐसीटिक एस्टर

जलने की दवाएं - त्वचा जलन जले भाग पर टैनिक अम्ल तथा बर्नोल

जुकाम खाँसी - देश के 75 प्रतिशत लोग ग्रसितकुल्लिया - थाइमाल, मेंथालटिकिया - ऐसीटनीलाइडनाक से लेने वाली - मेंथाल, कर्पूर, प्रोपिलीन ग्लाइकाल की फुहारनिर्जर्मीकारक (Antiseptic) - डेटॉल, मरक्यूरोक्रोम, बोरिक अम्लमृदुरेचक - एप्सम लवण, फीनाप्थैलीन स्ट्रिकनीनयातना निवारक - निष्चेतक - ईथर, एथिलीन, नाइट्रस ऑक्साइड

सम्मोहक या निद्राकारी - फीनोबार्बिटल

एंटीबायोटिक - डॉ॰ अलेक्जेडर फ्लेमिंग ने 1928 में पेनिसिलियम कवकों से पेनिसिलीन प्राप्त की - स्ट्रेप्टोमाइसीन, टेट्रामाइसिन, बायोमाइसिन, एरिथ्रोमाइसिन - एंटीबायोटिक शृंखला का संश्लेषण
गिहिणियों के लिए तथा खाद्य पदार्थो में रसायन
स्टेनलेस स्टील के बर्तन - लोहे में 14% नाइक्रोम (क्रोमियम और निकिल की मिश्र धातु) का मिश्रण
ब्रास के बर्तन - (कॉपर और जिंक मिश्र धातु) से बने बर्तन
ब्रॉन्ज के बर्तन - (कीमती मिश्र धातु जो 88% कॉपर, 10% टिन तथा 2 प्रतिशत जिंक) ; खेलों में गोल्ड, सिल्वर एवं ब्रॉन्ज मैडल
रबड़ - पेट्रोलियम के हाइड्रोकार्बन और ब्यूटाडाइन स्टाइटीन
एलुमिनियम के बर्तन - बॉक्साइट (Al2O3)
सिल्वर के बर्तन - मुलायम धातु इसमें कॉपर या निकल मिला दिया जाता है।
प्लास्टिक की तश्तरियां, प्याले आदि - ये बैकेलाइट के बने होते हैं, जो फीनॉल और फार्मेलडिहाइड से बनाया जाता है।
रबड़ - पेट्रोलियम के हाइड्रोकार्बन और ब्यूटाडाइन स्टाइटीन के यौगिक को अन्य रासायनिक पदार्थो के साथ मिलाने पर बने नये पदार्थ को 'कृत्रिम रबड़' कहते है।
भारी वाहनों के टायर - क्लोरोप्रोन रबड़
वायुयान के टायर - सुचालक बहुलक
खाद्यों में भरा रसायन - आहार के 6 मुख्य रासायनिक घटक - कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, लिपिड, विटामिन, खनिज, जल
घरों में तरह-तरह के रसायनों का प्रयोग
पेट की शिकायत - सिरका - एसीटिक एसिड लवण एवं जल।
खाने का सोडा - सोडियम बाइकार्बोनेट
धावन सोडा - सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3)
खाने का नमक - NaCl
सेंधा नमक - KCl
फिटकरी - K2SO4, Al2(SO4)3, 24H2O
बैटरियों में - H2SO4
बुझा चूना - Ca(OH)2
ऐल्कोहॉलिक पेय पदार्थो में इथेनॉल
फूलों की सुगंध - फ्लेवोन्स तथा फ्लेवोनाइड।
रास्पबेरी की गंध - आयोनिन
केले की गंध - आइसोएमाइल एसीटेट
नींबू की ताजगी - लिमोनिन यौगिक खट्टापन - सिट्रिक अम्ल
अम्लता (एसिडिटी) होने पर एटांसिड दवाइयां - Mg(OH)2। इससे आमाशय MgCl2 तथा पानी बनाता है जिससे अम्लता में कमी आती है।
संगमरमर तथा खड़िया मिट्टी में - CaCO3 यौगिक।
टूथपेस्ट का मुख्य घटक Al2O3
माउथवॉश में आयोडीन के यौगिक - कीटाणुरोधी
रसायन विज्ञान के द्वारा खाद्य पदार्थो, यथा - दूध, देशी घी, सरसों के तेल, हरी सब्जी, दाल, आटा, चाय तथा मसालों में मिलावट की भी सरल विधियों द्वारा घर पर ही जाँच की जा सकती है।
रंग-रोगन तथा वार्निश में टाइटेनियम ऑक्साइड तथा पॉलियूरीथेन का प्रयोग किया जाता है। मकानों में प्रयोग

किए जाने वाले पेंट का आधार एक्रीलिक लैटेक्स होता है।
कांच के निर्माण में रसायन
कांच विश्व का पहला संश्लिष्ट थर्मोप्लास्टिक है। इसे किसी भी रूप में ढाला जा सकता है। रेत (SiO2), चूने का पत्थर (CaO), सोडियम ऑक्साइड (Na2O) और अन्य खनिज तथा धातुओं को परस्पर पिघलाकर कांच बनाया जाता है तथा इसके विभिन्न बर्तन आदि बनाये जाते है। आजकल कांच का कई प्रकार से उपयोग होता है।
रंगीन कांच बनाने हेतु इसमें विभिन्न प्रकार के रासायनिक लवण मिलाए जाते हैं -पीला नीला या हरा - Fe2O3पीला - Fe(OH)3हल्का पीला - लेडगुलाबी या हल्का पीला गुलाबी - सेलिनियमनीला - कॉपरहरा - अधिक मात्रा में कॉपरलाल - कॉपर ऑक्साइड
प्लास्टिक के साथ कांच
कांच के फाइबर जब प्लास्टिक के साथ संयोग करते है तो अत्यधिक मजबूत पदार्थ बनता है जिसे प्रबलित प्लास्टिक (Reinforced plastic) कहते हैं इनका छत, नौका, खेल के सामान, सूटकेस तथा ऑटोमोबाइल की बॉडी बनाने में उपयोग किया जाता है।
ग्लास वुल - ठीले ग्लास फाइबर का बंडल, अच्छा ऊष्मारोधी, इसका उपयोग - फ्रिज, अवन, कुकर तथा गरम पानी की बोतलों में होता है।
साबुन और अपमार्जक
साफ-सफाई के लिए साबुन का इस्तेमाल लगभग 2800 ई.पूर्व का है। दूसरी सदी मे यूनानी चिकित्सक गालेन ने क्षारीय घोल से साबुन निर्माण का उल्लेख किया है।
साबुन वसा अम्ल का सोडियम लवण है। स्टीएरिक एसिड, पामिटिक एसिड, ओलिक एसिड तथा लिनोलेइक एसिड का सोडियम या पोटैशियम लवण।
सोडियम वाले साबुन ठोस व कठोर होते हैं जबकि पोटैशियम वाले मृदु तथा द्रव। साबुन का सूत्र : C17H35COONa
शैम्पू भी ऐल्कोहल मिश्रित साबुन। इसमें तेल को गंधक के अम्ल से अभिकृत करके जलविलेय बनाया जाता है।
गंजेपन दूर करने हेतु निर्जर्मीकारक- रिसंर्सिनाल
अपमार्जक (डिटर्जेट) पर पानी की प्रकृति का प्रभाव नही पड़ता। अतः अघिक लोकप्रिय है।
स्टेशनरी
रासायनिक प्रक्रिया से ही लकड़ी से कागज की प्राप्ति होती है। कागज की प्राप्ति में सैंकड़ों लीटर पानी के साथ रासायनिक उपचार किया जाता है। पेंसिल, कटर, शार्पनर, इरेजर, ह्वाइटनर, स्याही आदि सभी रसायन है।
फोटोग्राफी
रसायन विज्ञान पर आधारित फोटोग्राफी प्रक्रिया। निगेटिव से पॉजिटिव चित्र सोडियम थायोसल्फेट से लेपित कागज
कीटाणुनाशक दवाइयां
डेटॉल - प्रचलित कीटाणुनाशक - घरों मे प्रयोग (क्लोरोजाइलीनॉल)
फिनाइल - अधिक प्रचलित
घाव तथा शल्य क्रिया में जीवाणुनाशक रसायन (ऐल्कोहॉल) 60-90 प्रतिशत तथा बोरिक एसिड- सर्वतोसुलभ
चोट की मरहमपट्टी के लिए पूर्व में H2O2 से सफाई; आयोडीन के टिंचर का भी प्रयोग
फीनॉल या कार्बोलिक एसिड - जीवाणुनाशक - सर्जन द्वारा शल्य क्रिया के पूर्व हाथों की सफाई
ब्लींचिग पाउडर (CaOCl2) का प्रयोग जल स्रोतों व नालियों, परनालों, की सफाई में प्रयुक्त।
सौन्दर्य प्रसाधनों में छिपे रसायन
क्रीम या कोल्डक्रीम - जैतून का कोई खनिज तेल, मोम, पानी और बोरेक्स के मिश्रण से चेहरे की क्रीम बनती है। सुगंध हेतु इत्र, एल्कोहॉल, एल्डिहाइड, कीटोन, फीनॉल।
पाउडर - खडिया, टैलकम, जिंक ऑक्साइड, चिकनी मिट्टी का चूर्ण, स्टार्च, रंगने का पदार्थ सुगंध
लिपिस्टिक - मोम तथा तारकोल से निर्मित रंग सामग्री। मिश्रण में चिकनाई हेतु कोई तेल मिलाया जाता है।
शेविंग क्रीम - स्टियरिक अम्ल, तेल, ग्रीस तथा पोटैशियम हाइड्रोक्साइड
नेलपॉलिश - जल्दी सूखने वाला एक प्रकार का रोगन जिसमें रंग लाने के लिए टाइटेनियम ऑक्साइड (TiO2) मिलाया जाता है। आजकल नाइट्रोसेल्युलोज, एसीटोन, एमाइल ऐसीटेट आदि। रंग मिटाने हेतु एथिल एसीटेट, ऐसीटोन तथा जैतुन का तेल।
कृषि रसायन
रासायनिक कीटनाशक (Pesticides), कवकनाशक (Fingicides), विकसित
मिट्टीविहीन कृषि - जल कृषि (Hydrophonics)
ऊसर भूमि सुधार में गंधक का अम्ल तथा जिप्सम का प्रयोग
रासायनिक उर्वरक - यूरिया, म्यूरेट ऑफ पोटाश, सल्फेट ऑफ पोटाश, डी.ए.पी., सी.ए.एन. आदि।



उद्योगों में प्रयुक्त रसायन
रसायन विज्ञान की भूमिका के बिना उद्योग संभव नही। प्लास्टिक, कपड़ा, उर्वरक, कांच, धातु, कागज, चमड़ा, कोयला, धातु, कागज, चमड़ा, कोयला, गैस, पेट्रोरसायन, गंधक एवं क्लोरीन से प्राप्त रसायन, चूने से प्राप्त रसायन आदि।
विस्फोटक पदार्थ : (खान खोदने, इमारत गिराने, तेल और गैस के कुंए खोदने में प्रयुक्त) अनेक नाइट्रेट यथा- सेल्युलोज नाइट्रेट तथा नाइट्रोग्लिसरीन, पोटैशियम नाइट्रेट आदि विस्फोटक है।
नाभिकीय रसायन विज्ञान
इस रसायन विज्ञान की शाखा के अन्तर्गत रेडियोधर्मिता, तथा नाभिकीय प्रक्रमों का अध्ययन किया जाता है।
हरित रसायन
यह नवीनतम शाखा है जिसे 'टिकाऊ रसायन विज्ञान' (Green and sustainable Chemistry) भी कहते है। ग्रीन या हरित रसायन का तात्पर्य ऐसे रासायनिक उत्पादों या रासायनिक प्रक्रियाओं के डिजाइन से है जो हानिकारक अपशिष्ट के उत्पादन या इस्तेमाल को कम या समाप्त करता है।
ड्राइक्लीनिंग में परक्लोरोइथीलिन (कैंसरकारक) की जगह द्रवित कार्बनडाइ ऑक्साइड का प्रयोग।
आइबूप्रोफिन नामक दवा - पीड़ा व ज्वरनाशक का निर्माण 10 से 6 चरणों में संभव, प्रदूषण में 30 प्रतिशत कमी।
पेपर मिलों में सेलुलोस विरंजित करने हेतु क्लोरीन के स्थान पर सुरक्षित विकल्प विकसित।
रेत के कणों पर ग्रेफाइट ऑक्साइड की नैनों परत चढाकर पानी छानने का एक अत्यंत सरल व प्रभावकारी फिल्टर विकसित।
उद्योगों में हरित एंजाइमों का प्रयोग।
कृषि संबंधी रसायन, प्लास्टिक फाइबर आदि जैव-उत्प्रेरकों के द्वारा कम लागत पर उपलब्ध।
उद्योगों में हरित एंजाइमों का प्रयोग।
कार्बनिक रसायन विज्ञान, जैव कार्बनिक रसायन विज्ञान तथा जैव रसायन विज्ञान के मेल से औषधि क्षेत्र में अप्रत्याशित लाभ - हरित रसायन विज्ञान की ही देन।
पॉलिलैक्टिक एसिड जो जैव-सुसंगत फाइबेरा, जैव अपघटनीय सीवन और पैकेजिंग में उपयेग।
भारत में आई.आई.टी. गुवाहाटी, कानपुर व दिल्ली में हरित उत्प्रेरक विधि विकसित। औषधि उद्योग में कारगर।
कार्न सिरप का खाद्य उद्योग में उपयोग



विभिन्न रहस्यों में छुपे रसायन
आतिशबाजी में रसायनों का करिश्मा - आतिशबाजी के निर्माण तथा उपयोग की तकनीक - पायरोटैक्नीक या अग्निक्रीड़ा। प्रयुक्त रसायन डेक्सट्रिन, चारकोल, रेडगम, एलुमिनियम, पोटैषियम परक्लोरेट तथा अमोनियम परक्लोरेट।
जैसे ही आतिशबाजियों में कवच पर आग लगाई जाती है, ईंधन व ऑक्सीकारक 2200 से 36000 से तापमान के बीच क्रिया करते हैं, जिससे आवाज उत्पन्न होती है।
आतिशबाजियों को रंगीन बनाने में SrCO3, नाइट्रेट तथा क्लोरेट से हरा रंग आतिशबाजी में प्रयुक्त कागज टच पेपर को KnO3 में भिगोने पर आतिशबाजी-ज्वलनशील।
मेंहदी के रंग में रसायन
लॉसोन, जो नेफ्थाक्यूनोन वर्ग का रसायन है, हाथों की त्वचा में विद्यमान प्रोटीन की झाल से हाथों की त्वचा में विद्यमान प्रोटीन की झाल से क्रिया करके लाल रंग देता है।
गिरगिट के रंग बदलने का कारण : गिरगिट की विशेष रंजक कोशिकाएं मैलेनोफोर - ताप बढ़ने तथा घटने के साथ-साथ सिकुड़ती है। ये कोशिकाएं, इनके शरीर में स्रावित होने वाले हारमोनों - इंटरमेडिन, एसीटिलकोलीन आदि से उत्तेजित होकर रंग बदलती है।
फूलों का रंग भगाना - हरे, पीले, नीले व लाल फूलों की पंखुड़ियों को जब सल्फर डाइ ऑक्साइड तथा क्लोरीन से संपर्क करवाया जाता है तो ये गैसे फूलों का रंग उड़ा देती हैं।
वृद्धावस्था की झुर्रियाँ भी रसायनों की देन - झुर्रियाँ चमड़ी की ऊपरी सतह में उपस्थित कोलेजन तथा इलास्टिन प्रोटीन फाइबर में हुई कमी के कारण।
कलाई घड़ी का सेल - लीथियम - कलाई घड़ी का सेल बटन आकार का होने से 'बटन सेल' कहलाता है। इसमें

लीथियम ऋणात्मक इलेक्ट्रोड का कार्य करता है, धनात्मक कोई ऑक्सीकारक।
हंसाने तथा रूलाने वाली गैसें - नाइट्रस ऑक्साइड गैस तथा नाइट्रिल ब्रोमाइड ; एथिल आयोडोएसिटेट अश्रु गैस के रूप में पुलिस द्वारा उपयोग।
आँसू की संरचना में रसायन - हमारे आँसुओं के द्रव में प्रोटीन, नाइट्रोजन, यूरिया, ग्लूकोज, सोडियम, पोटैषियम के ऑक्साइड, अमोनिया, क्लोरीन, सोडियम क्लोराइड, लाइसोजाइम एंजाइम आदि विद्यमान।
पानी में कुबड़ापन एवं बिगड़े दांत - मनुष्य के कुबड़े होने में पानी भी करिश्मा दिखाता है। अधिक समय तक फ्लोराइड युक्त जल का सेवन हड्डियों में तथा दाँत में विकृति प्रदान करता है जिससे कुबड़ापन एवं दाँतों में विकृतियां उत्पन्न होतीं हैं।
पानी में आग लगाने वाली धातु - सोडियम की पानी से घनिष्ठ मित्रता है।2Na + 2H2 -> 2NaOH + H2
जुगनू की चमक का राज : लूसीफेरिन C13H12N2S2O3 प्रकाश उत्पादक जुगनू की धड़ में विद्यमान + Mg = प्रकाश।
विश्व का सबसे मीठा पदार्थ : तालीम प्रोटीन जो शक्कर से पाँच हजार गुना मीठा।
धूप-छाँव का चश्मा रसायनों से भरा : फोटोक्रोमेटिक चश्मों में सिल्वर आयोडाइड एवं सिल्वर ब्रोमाइड के कण। धूप में अलग एवं छाया में पुनः युग्मित।
खाना पकाने की गैस द्रव : एलपीजी (Liquified petroleum gas) में मुख्य रूप से प्रोपेन एवं ब्यूटेन गैस गंधयुक्त थायोएल्कोहल मिश्रित। घरों में उपयोग के लिये इस गैस का अधिक दाब पर भरा गया होता है।
फूलों की सुगंध - टर्पीन तथा बैंजीन के व्युत्पन्न
कटा सेब बदरंग : काटने के बाद सफेद भाग बादामी - कैफीटेनिन, एपिकैटीचिन नामक टेनिन - हवा के संपर्क से ऑक्सीकरण।
मिर्च खाने से जलन में कैप्सिसिन का योगदान।
फलों को पकाने में इथिलीन गैस की भूमिका - हरे रंग के फल लाल-पीले रंग के हो जाते हैं।
ओजोन छिद्र - पृथ्वी से 15-50 किमी की ऊँचाई पर ओजोन की पतली परत पृथ्वी को घेरे रहती है। यह पृथ्वी को सूर्य की उच्च ऊर्जा वाली पराबैंगनी किरणों से बचाती है और हमारी जीवन रक्षा करती है। 1987 में पहली बार अंटार्कटिका में इस परत को गिरते देखा गया। इसके छिद्र बनने में क्लोरोफ्लोरो कार्बन की भूमिका।
नॉन-स्टिक बर्तनों की परत में टेफ्लॉन (पॉलिटेट्राफ्लुरोइथिलीन)
पान का रंग - कटेचूनिक अम्ल के कारण।
हाइड्रोपॉनिक्स - बिना मिट्टी से कृषि।
स्याहियों के राज में रसायन : बॉल प्वांइट पेन की स्याही - रंगीन रंजकों को ओलिक अम्ल, अरंडी का तेल तथा सल्फोनामाइड के साथ मिलाना।
चीटिंयों को रास्ता दिखाते रसायन : रानी, पंखयुक्त नर एवं पंखरहित मादा - तीन प्रजातियां चीटिंयां लगातार गंध फीरोमोन को छोड़ती है जिसे रास्ता पता लगता है।
स्टैंप पैड स्याही - इंडियुलिन नामक रंग को ग्लिसरीन, फीनोल या क्रीसॉल में घोलकर बनाई जाती है।
प्रिटिंग स्याही - मिनरल ऑयल, एनीलोन रंग तथा चुनाव में प्रयुक्त स्याही में सिल्वर साल्ट एवं एनीलीन यौगिक का प्रयोग।
महिलाओं की सहेली - बगैर स्टेरायडल, गैर हारमोनल गर्भ निरोधक गोली में सेंटक्रोमेन (Resorcinol से संष्लेषण) का योगदान।
ऑस्मियम सबसे भारी धातु और गैलियम, प्लेटीनम से भी महंगी धातु।
धब्बे छुड़ाने वाले रसायन
वनस्पति के धब्बे - (घास, चाय, सब्जी, कॉफी, फल) गरम पानी, साबुन तथा सुहागा।
जैवीय धब्बे - खून, थूक, कफ, अंडे, म्यूककस के दाग हेतु अमोनिया, नमक, नींबू, कार्बन टेट्राक्लोराइड।
रसायनजनित धब्बे - लोहा, स्याही, वार्निश, पेंट हेतु ऑक्सेलिक अम्ल एवं H2O2 का प्रयोग, वैसलीन, तेल के धब्बों के लिए सोडियम परबोरेट व क्लोरोफार्म।
घातक रसायन
आँखों में सुरमा में Sb2S3 के बदले PbS का प्रयोग - ऑख के लिए घातक। सीसा शरीर के लिए अत्यधिक विषालु धातु।
सौंदर्य प्रसाधनों में फार्मेल्डीहाइड का अत्यधिक उपयोग। यह शैंपू, परिरक्षक आदि में प्रयुक्त होने से घातक।
एलुमीनियम के बर्तन हानिकारक (हल्के, सस्ते, जंगरहित एवं प्रचुर उपलब्ध)। एलुमीनियम के बर्तनों में खट्टी वस्तुएं, नमक व सोडा, दही, चाय, चटनी, सिरका फलों का रस, टमाटर का रस आदि कभी नहीं रखने चाहिए।
उच्च एलुमीनियम युक्त भोजन या चाय लगातार सेवन से मस्तिष्क की कोशिकाओं की क्षति।

सारांश :
उर्जा - सेल, बैटरियाँ, परमाणु भट्ठी, पेट्रोलियम आदि
दवाएँ
खाद
कीटनाशक
धातुएँ, प्लास्टिक एवं अन्य निर्माण सामग्री
कपड़े
सीमेंट
साबुन, तेल, सौन्दर्य प्रसाधन
आईसी निर्माण के लिये उच्च गुणवत्ता वाली सिलिकॉन वेफर
अपराधियों को पकड़ने के लिये सहायक
गोला-बारूद, विस्फोटक एवं अन्य युद्ध सामग्री

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