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गुरुवार, 13 सितंबर 2018

Indian Geography GK, Geography GK Question, भूगोल से संबद्धित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान

Indian Geography GK, Geography GK Question, भूगोल से संबद्धित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान

1: ज्वार-भाटा की उत्पत्ति से सम्बंधित “प्रगामी तरंग सिद्धांत (Progressive Wave Theory) को कब और किसने प्रस्तुत किया था?
उत्तर: ज्वार-भाटा की उत्पत्ति से सम्बंधित “प्रगामी तरंग सिद्धांत” को सन 1833 में विलियम वेवल (William Whewell) ने प्रस्तुत किया. इस सिद्धांत के अनुसार ज्वार लहर के रूप में होते हैं, जिनका शिखर ज्वार होता है और सबसे निचला भाग भाटा होती है. ये ज्वारीय तरंगे चन्द्रमा से प्रेरित होकर उत्पन्न होती हैं और पूर्व से पश्चिम दिशा में भ्रमण करती हैं. जब इन तरंगो का शिखर तट के समीप पहुँचता है, तो “ज्वार” आता है, और जब तरंग की “द्रोणी” आती है, तो “भाटा” आता है.

2: भारत का सबसे पहला जल-बिजली कारखाना कहाँ स्थापित किया गया?
उत्तर: भारत का सबसे पहला जल-बिजली कारखाना शिवसमुद्रम में 1902 में स्थापित किया गया था.

3: हिमगर्त (Kettle) क्या हैं और इस प्रकार के हिमगर्त कहाँ स्थित हैं?
उत्तर: हिमनदीय अपोढ़ (drift) में एक वृत्ताकार छिद्र, जो साधारण जल से भरा रहता है, हिमगर्त (kettle) कहलाता है. किसी हिमनद में से एक विशाल हिमखंड के टूटकर अलग हो जाने और लम्बे समय बाद पिघल जाने के चलते इस प्रकार के वृत्ताकार छिद्र का निर्माण होता है. इस प्रकार के हिमगर्तों का निर्माण कारलिसले के उत्तर-पूर्व में ब्राम्प्टन (Brampton) के इर्द-गिर्द या लंकास्टर के समीप और पिकरिंग घाटी में हुआ है. USA में भी Wisconsin प्रदेश के Kettle Moraine में वृत्ताकार हिमगर्त बहुत घनी संख्या में स्थित है.

4: जलोढ़ पंख (Alluvial Fans) क्या हैं और इनका निर्माण कहाँ होता है?
उत्तर: जलोढ़ शंकुओं से आगे जब नदी का जल अनेक संकरी धाराओं में बहता है, और बारीक रेत का निक्षेप प्रत्येक धारा की दिशा में बहुमुखी होता है, तो “जलोढ़ पंखों” (Alluvial Fans) का निर्माण होता है. इनकी रचना प्रायः पर्वत और मैदान के मध्यवर्ती भागों में ही होती है.

5: उष्णोत्स (Geyser) क्या है और इनका निर्माण कहाँ होता है?
उत्तर: फव्वारे की भांति भूमि से स्वतः निकलते गर्म जल को “उष्णोत्स” (Geyser) कहते हैं. प्रायः geyser ज्वालामुखी क्षेत्रों में पाए जाते हैं. गीजर वहाँ भी उत्पन्न हो गए हैं, जहाँ सिलिका मिश्रित लावा गर्म अवस्था में है.

6: मेडागास्कर की खोज कब और किसने की थी?
उत्तर: मेडागास्कर की खोज सन् 1500 में पुर्तगाली नाविक डियोगो दिआस (Diogo Dias) ने की थी.

7: पृथ्वी की उत्पत्ति से सम्बंधित नीहारिका परिकल्पना का प्रतिपादन कब और किसने किया?
उत्तर: पृथ्वी की उत्पत्ति से सम्बंधित नीहारिका परिकल्पना (Nebular Hypothesis) का प्रतिपादन सन 1796 में लाप्लास (Laplace) नामक फ़्रांसिसी वैज्ञानिक ने किया था. इस परिकल्पना के अनुसार अतीत काल में ब्रह्मांड में एक महापिंड के रूप में नीहारिका थी जिससे कुछ छल्ले निकले. छल्लों के ठोस व गोल होने से ग्रह और छल्लों के अन्य टुकड़ों से उपग्रह बने.

8: महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत का प्रतिपादन कब और किसने किया था?
उत्तर: महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत (Continental Drift Theory) का प्रतिपादन 1912 ई. में प्रो. अल्फ्रेड वेगनर ने किया था. इस सिद्धांत के अनुसार प्रारम्भ में पूरा स्थल एक विशाल महादेश के रूप में था. बाद में यह विभाजित हो गया जिसके चलते स्थल भाग एक-दूसरे से अलग होकर महासागरों और महाद्वीपों के वर्तमान रूप में आ गए.

9: महाद्वीपीय विसर्पण का सिद्धांत (Theory of Sliding Continents) कब और किसने प्रस्तुत किया था?
उत्तर: “महाद्वीपीय विसर्पण का सिद्धांत” सन 1926 ई. में डेली (R.A. Daly) ने प्रस्तुत किया था.

उपसौर और अपसौर-पृथ्वी की परिक्रमा की दिशा पश्चिम से पूर्व है, जिस कक्षा में सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा करती है, वह दीर्घवृत्तीय है. अतः 3 जनवरी को सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी न्यूनतम (9.15 करोड़ मील) हो जाती है, जिसे उपसोर (Perihelion) कहते हैं. इसके विपरीत 4 जुलाई को पृथ्वी की सूर्य से अधिकतम दूरी (9.15 करोड़ मील) होती है, जिसे अपसोर स्थिति (Aphelin) कहते हैं.

एपसाइड रेखा-अपसौरिक एवं उपसौरिक को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा जो सूर्य के केंद्र से होकर गुजरती है, उसे एपसाइड रेखा कहते हैं.

प्रकाश चक्र (Circle of Illumination)-वैसी काल्पनिक रेखा जो पृथ्वी को प्रकाशित और अप्रकाशित भागों में बाँटती है, प्रकाश चक्र कहलाती है.

विषुव (Equinox)-जब सूर्य विषुवत् रेखा पर लम्बवत चमकता है तो दोनों गोलार्धों पर दिन और रात बराबर होता है, जिसे विषुव कहा जाता है. 21 मार्च (वसंत ऋतु) और 23 सितम्बर (शरद ऋतु) को दिन और रात बराबर अवधि के होते हैं.

नक्षत्र दिवस (Sidereal time)-पृथ्वी के 360 डिग्री घूर्णन में लगा समय, जब एक विशेष तारे के समय में पृथ्वी पुनः अपनी स्थिति में वापस आ जाती है, नक्षत्र दिवस कहलाती है.

सौर दिवस (Solar Day)-जब सूर्य को गतिशील मानकर पृथ्वी द्वारा उसके परिक्रमण की गणना दिवसों के रूप में की जाती हैं, तब सौर दिवस ज्ञात होता है. इसकी अवधि पूर्णतः 24 घंटे होती है.

लीप वर्ष (Leap Year)-प्रत्येक सौर वर्ष कैलंडर वर्ष से लगभग 6 घंटे बढ़ जाता है, इसे हर चौथे वर्ष में लीप वर्ष बनाकर समायोजित किया जाता है. लीपवर्ष 366 दिन का होता है, जिसमें फरवरी माह में 28 के स्थान पर 29 दिन होते हैं.

अक्षांश-विषुवत् रेखा के उत्तर या दक्षिण किसी भी स्थान की विषुवत रेखा से कोणीय दूरी को उस ठान का अक्षांश कहते हैं तथा सामान अक्षांशों को मिलने वाली काल्पनिक रेखा को अक्षांश रेखा कहते हैं. अक्षांश रेखाएँ विषुवत रेखा के (0° अक्षांश रेखा) के समानांतर होती हैं. 0-90° उत्तर और दक्षिण तक होती है. 1° अक्षांश के बीच की दूरी लगभग 111 कि.मी. होती है. पृथ्वी के गोलाभ आकृति के कारण यह दूरी विषुवत रेखा से ध्रुवों की ओरअधिक होती जाती है. पृथ्वी के सतह पर किसी भी बिंदु की स्थिति अक्षांश रेखाओं द्वारा निर्धारित की जाती है. उत्तरी अक्षांश को कर्क रेखा और दक्षिण अक्षांश को मकर रेखा कहते हैं. उत्तरी अक्षांश को कर्क वृत्त (Arctic circle) और दक्षिणी अक्षांश को मकर वृत्त (Antarctic circle) कहते हैं.

कर्क संक्रांति एवं मकर संक्रांति-सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायन की सीमा को संक्रांति कहा जाता है. 21 जून को सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत होता है, इसे कर्क संक्रांति कहते हैं. इसी दिन उत्तर गोलार्ध पर सबसे बड़ा दिन होता है.

देशांतर (Longitude)-ग्लोब पर किसी भी स्थान की प्रधान यामोत्तर (0°देशांतर या ग्रीनवीच के पूर्व या पश्चिम) से कोणीय दूरी को उस स्थान को देशांतर कहा जाता है. सामान देशांतर को मिलने वाली काल्पनिक रेखा जो कि ध्रुवों से होकर गुजरती हैं, देशांतर रेखा कहलाती है. यह पूर्व से पश्चिम दिशा में 180° तक होती है. इस प्रकार देशांतर रेखाओं की कुल संख्या 360 है. विषुवतीय रेखा पर दो देशांतर रेखाओं के बीच की दूरी 111.32 कि.मी. होती है, जो ध्रुवोंकी ओर घटकर शून्य हो जाती है. समय का निर्धारण देशांतर रेखाओं से ही होता है, जानिये कैसे??? 
 अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा
ग्रीनविच मीन टाइम (GMT)-इंगलैंड के निकट शून्य देशांतर पर स्थित ग्रीनविच नामक स्थान से गुजरने वाली काल्पनिक रेखा प्राइम मेरिडीयन या शून्य देशांतर के समय को सभी देश मानक समय मानते हैं. यह ग्रेट ब्रिटेन का मानक समय है, इसी को ग्रीनविच मीन टाइम कहते हैं.

प्रमाणिक समय और स्थानीय समय-पृथ्वी पर किसी स्थान विशेष का सूर्य की स्थिति से निकाला गया समय स्थानीय समय कहलाता है. दूसरी ओर किसी देश के मध्य से गुजरने वाली देशांतर रेखा के अनुसार लिया गया समय उस देश का प्रमाणिक समय कहलाता है.

संघनन (Condensation)-जल के गैसीय अवस्था से तरल या ठोस अवस्था में परिवर्तित होने की प्रक्रिया संघनन कही जाती है. यदि हवा का तापमान ओसांक बिंदु से नीचे पहुँच जाए तो संघनन की प्रक्रिया में वायु के आयतन, तापमान, वायुदाब और आद्रता का प्रभाव पड़ता है.
यदि संघनन हिमांक (Freezing point) से नीचे होता है तो तुषार, हिम और पक्षाभ मेघ का निर्माण होता है.
यदि संघनन हिमांक के ऊपर होता है तो ओस, कुहरा, कुहासा और बादलों का निर्माण होता है.
संघनन की क्रिया अधिक ऊँचाई पर होने पर बादलों का निर्माण होता है.

ओस (Dew)-हवा का जलवाष्प जब संघनित होकर छोटी-छोटी बूंदों के रूप में धरातल पर पड़ी वस्तुओं (घास, पत्तियों आदि) पर जमा हो जाता है, तो उसे ओस कहते हैं.

तुषार या पाला (Frost)-जब संघनन की क्रिया हिमांक से नीचे होती है, तो जलवाष्प जलकणों के बदले हिम कणों में परिवर्तित हो जाता है, इसे ही तुषार या पाला कहते हैं.

कुहरा-कुहरा एक प्रकार का बादल है, जब जलवाष्प का संघनन धरातल के बिल्कुल करीब होता है तो कुहरे का निर्माण होता है. कुहरे में कुहासे की तुलना में जल के कण अधिक छोटी और संघन होती है.

कुहासा (Mist)-कुहासा भी एक प्रकार का कुहरा होता है, जिसमें कुहरे की अपेक्षा दृश्यता दूर तक रहती है. इसमें दृश्यता 1 कि.मी. से अधिक पर 2 कि.मी. से कम होती है.

धुंध (Smog)-बड़े शहरों में फैक्टरियों के निकट जब कुहरे में धुएँ के कण मिल जाते हैं तो उसे धुंध कहते हैं. धुंध कुहरे की तुलना में और सघन होता है. इसमें दृश्यता और भी कम होती है.

निरपेक्ष आद्रता (Absolute Humidity)-हवा में प्रति इकाई आयतन में विद्यमान जलवाष्प की मात्रा को निरपेक्ष आद्रता कहते हैं. इसमें ग्राम प्रति घन मीटर में व्यक्त किया जाता है.

विशिष्ट आद्रता (Specific Humidity)-आद्रता को व्यक्त करने का यह आणविक उपयोगी तरीका है. हवा के प्रति इकाई भार में जलवाष्प के भार को विशिष्ट आद्रता कहते हैं. इसे ग्राम प्रति किलोग्राम में व्यक्ति किया जाता है.

सापेक्षिक आर्द्रता (Relative Humidity)-किसी निश्चित तापमान पर वायु में विद्यमान जलवाष्प की मात्रा और उस वायु के जलवाष्प धारण करने की क्षमता के अनुपात को सापेक्षिक आद्रता कहते हैं. इसे प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है.

आर्द्रता क्षमता (Humidity Capacity)-किसी निश्चित तापमान पर हवा के एक निश्चित आयतन में अधिकतम नमी या आर्द्रता धारण करने की क्षमता को उसकी आर्द्रता क्षमता कहते हैं.

संतृप्त वायु (Saturated Air)-जब हवा किसी भी तापमान पर अपनी आर्द्रता सामर्थ्य के बारबार आर्द्रता ग्रहण कर लेती है तो उसे Saturated Air कहते हैं.

गुप्त उष्मा (Latent Heat)-जल को वाष्प या गैस में परिवर्तित करने के लिए उष्मा के रूप में ऊर्जा की आवश्यकता होती है. एक ग्राम बर्फ को जल में परिवर्तित करने के लिए 79 कैलोरी तथा एक ग्राम जल को वाष्पीकरण द्वारा वाष्प में परिवर्तित करने के लिए 607 कैलोरी की आवश्यकता होती है. वाष्प में उष्मा की यह छिपी हुई मात्रा गुप्त उष्मा कहलाती है.

तड़ित झंझा (Thunderstorm)-तड़ित झंझा तीव्र स्थानीय तूफ़ान या झंझावत है जो विशाल और सघन कपासी मेघों से उत्पन्न होता है. इसमें नीचे से ऊपर की ओर पवनें चलती हैं. मेघों का गरजना और बरसना इसकी प्रमुख विशेषता है. ये संवहन का एक विशिष्ट रूप होते हैं.

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