Male Reproductive System
मानव प्रजनन की लैंगिक पद्धति का प्रयोग करते हैं। मानवों एक निश्चित उम्र के बाद ही प्रजनन क्रिया को सम्पन्न कर सकने में सक्षम हो पाता है, इसे ‘यौवन’ (Puberty) कहते हैं। मानवों जैसे जटिल बहुकोशिकीय जीवों में शुक्राणु और अंडाणु के निर्माण, शुक्राणुओं एवं अंडाणु के निषेचन और शिशु के रूप में युग्मनज (Zygote) की वृद्धि और विकास के लिए विशेष प्रजनन अंग पाये जाते हैं।
यौवन (Puberty)
कभी–कभी बाहरी रूप को देख कर यह बताना मुश्किल हो जाता है कि कोई शिशु लड़का है या लड़की, क्योंकि छोटी उम्र में उनके शरीर का आकार लगभग एक जैसा ही होता है। शिशु के जन्म के बाद से लगातार जारी शारीरिक विकास के बाद आरंभिक किशोरावस्था में उसके शरीर में तेजी से बदलाव आते हैं। इसकी वजह से लकड़ियाँ, लड़कों से अलग दिखने लगती हैं और उनके व्यवहार में भी बदलाव आ जाता है। लड़कियों में ये बदलाव लड़कों की तुलना में जल्दी शुरु हो जाते हैं। बाल्यावस्था (Childhood) और प्रौढ़ावस्था (Adulthood) के बीच के समय को 'किशोरावस्था/यौवनवस्था' (Adolescence) कहते हैं। इस उम्र में लड़कों और लड़कियों के शरीर में नर व मादा 'सेक्स हार्मोन' बढ़ जाते हैं और इनकी वृद्धि उनके शरीर में व्यापक बदलावों की वजह बनती है। लड़कों में वीर्यकोष (Testes) और लड़कियों में अंडाशय (Ovaries) अलग–अलग हार्मोन निर्मित करते हैं, इसलिए वे अलग–अलग तरीके से विकसित होते हैं। अंततः लड़के और लड़कियां लैंगिंक (Sexually) रूप पर परिपक्व हो जाते हैं और उनकी प्रजनन प्रणाली कार्य करना शुरु कर देती है।
वह उम्र जिसमें ‘सेक्स हार्मोन्स’ या ‘युग्मक’ (Gametes) निर्मित होने लगते हैं और लड़का एवं लड़की लैंगिंक रूप से परिपक्व हो जाते हैं या प्रजनन में सक्षम हो जाते हैं, ‘यौवन’(Puberty) कहलाता है।
आमतौर पर लड़के 13 से 14 वर्ष की उम्र में यौवन (Puberty) प्राप्त करते हैं, जबकि लड़कियों में यह 10 से 12 वर्ष की उम्र के बीच होता है। यौवन (Puberty) प्राप्त करने के बाद, नर जननांग (वीर्यकोष) नर युग्मक, जिन्हें शुक्राणु (Sperm) कहा जाता है, का उत्पादन करने लगते हैं और मादा जननांग (अंडाशय) मादा युग्मक, जिन्हें अंडाणु (ova or eggs) कहा जाता है, का उत्पादन करने लगते हैं। इसके साथ ही नर और मादा जननांग यौवन की शुरुआत के साथ सेक्स हार्मोन भी स्रावित करने लगते हैं।
वीर्यकोष टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) नाम का नर सेक्स हार्मोन स्रावित करता है और अंडाशय एस्ट्रोजन (Oestrogen) और प्रोजेस्टरोन (Progesterone) नाम के दो मादा सेक्स हार्मोन स्रावित करता है। प्रजनन प्रक्रिया में सेक्स हार्मोन्स महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि ये प्रजनन अंगों को परिपक्व और प्रजनन योग्य बनाते हैं। यौवन’ (Puberty) वह उम्र होती है, जिसमें प्रजनन अंग परिपक्वता प्राप्त करते हैं और द्वितीयक यौन गुण विकसित होते हैं।
यौवन’ (Puberty) आने पर लड़कों में होने वाले विभिन्न प्रकार के परिवर्तन इस प्रकार हैं– कांख (Armpits) और जांघों के बीच के जननांग क्षेत्र (Genital Area) में बालों का आना। शरीर के अन्य हिस्सों, जैसे सीने और चेहरे (मूंछ, दाढ़ी आदि) पर भी बाल उगने लगते हैं। मांसपेशियों के विकास की वजह से शरीर अधिक मांसल बन जाता है। आवाज गंभीर हो जाती है या भारी हो जाती है। सीना और कंधे चौड़े हो जाते हैं। लिंग और वीर्यकोष बड़ा हो जाता है। वीर्यकोष शुक्राण बनाना प्रारम्भ कर देता है। प्रौढ़ावस्था से संबंधित भावनाएं और यौन-इच्छाएं विकसित होने लगती हैं। लड़कों में ये सभी बदलाव वीर्यकोष से स्रावित होने वाले नर सेक्स हार्मोन्स की वजह से आते हैं।
यौवन’ (Puberty) आने पर लड़कियों में होने वाले परिवर्तन इस प्रकार हैं– कांख और जांघों के बीच जननांग क्षेत्र में बालों का आना (यह बदलाव लड़कों के जैसा ही होता है)। स्तन ग्रंथियों या स्तनों का विकास होता है और वे आकार में बड़े होने लगते हैं। कूल्हे चौड़े होने लगते हैं। शरीर के विभिन्न अंगों, जैसे- कूल्हे और जांघों पर अतिरिक्त चर्बी जमा होने लगती है। डिम्बवाही नलिकाओं (Fallopian Tubes), गर्भाशय (Uterus) और योनि (Vagina) का भी आकार बढ़ने लगता है। अंडाशय अंडाणु निर्मित करना शुरु कर देते हैं। माहवारी (Menstruation) शुरु हो जाती है। प्रौढ़ावस्था से संबंधित भावनाएं और यौन-इच्छाएं विकसित होने लगती हैं। लड़कियों में होने वाले ये सभी बदलाव अंडाशय से स्रावित होने वाले मादा सेक्स हार्मोन्स एस्ट्रोजन (Oestrogen) और प्रोजेस्टरोन (Progesterone) की वजह से होते हैं।
पुरुष प्रजनन प्रणाली
पुरुष प्रजनन प्रणाली में निम्नलिखित अंग शामिल होते हैं: वीर्यकोष (Testes), अंडकोष (Scrotum), अधिविषण (Epididymis), शुक्राणु वाहिनी (Vas deferens or Sperm duct), शुक्राणु या वीर्य पुटिका (Seminal Vesicles), प्रोस्ट्रेट ग्लैंड (Prostrate gland) और लिंग (Penis)।
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वीर्यकोष (Testes) अंडाकार अंग होता है, जो पुरुषों की उदर गुहा (Abdominal Cavity) के बाहर स्थित होता है। एक पुरुष में दो वीर्यकोष होते हैं। वीर्यकोष पुरुषों में प्राथमिक प्रजनन अंग होता है। वीर्यकोष का मुख्य कार्य नर यौन कोशिकाओं या नर युग्मकों जिन्हें ‘शुक्राणु’ कहते हैं, का निर्माण करना होता है। साथ ही यह नर सेक्स हार्मोन ‘टेस्टोस्टेरोन’ भी यही स्रावित करता है। पुरुष का वीर्यकोष यौवन (Puberty) के बाद से आजीवन शुक्राणुओं का निर्माण करता रहता है। पुरुष का वीर्यकोष छोटे सी मांसल थैली, जिसे अंडकोष कहते हैं, में स्थित होता है। यह उदर गुहा के बाहर स्थित होता है। वीर्यकोष शरीर की उदर गुहा के बाहर स्थित होता है और चूंकि शुक्राणु के बनने के लिए शरीर के सामान्य तापमान की तुलना में कम तापमान की जरूरत होती है, इसलिए यह शरीर के बहुत अंदर स्थित नहीं हो सकता है। उदर गुहा के बाहर स्थित होने के कारण अंडकोष का तापमान शरीर के भीतरी तापमान के मुकाबले करीब 3 डिग्री सेल्सियस तक कम होता है। इस प्रकार, वीर्यकोष शुक्राणुओं के निर्माण के लिए जरूरी तापमान प्रदान करता है।
वीर्यकोष से शुक्राणु बाहर निकलकर एक कुंडली के आकार वाली नली, जिसे ‘अधिविषण’(Epididymis) कहते हैं, में जाते हैं। यहां शुक्राणु अस्थायी तौर पर रहते हैं। एपिडिडमिस से शुक्राणु, एक लंबी नली– शुक्राणु वाहिनी नली के माध्यम से ले जाए जाते हैं। यह नली, ब्लैडर से आने वाली एक और नली, जिसे मूत्रमार्ग (urethra) कहते हैं, से जुड़ी होती है। शुक्राणु नली के सहारे ही, शुक्राणु या वीर्य पुटिका (Seminal Vesicles) कहे जाने वाले ग्लैंड्स और प्रोस्ट्रेट ग्लैंड शुक्राणु में अपने स्राव को मिला देते हैं और इस प्रकार शुक्राणु अब तरल पदार्थ में मिल जाते हैं। यह तरल पदार्थ एवं शुक्राणु सम्मिलित रूप से ‘वीर्य’ (Semen) कहलाता है, जोकि एक गाढ़ा तरल पदार्थ होता है। शुक्राणु या वीर्य पुटिका (Seminal Vesicles) और प्रोस्ट्रेट ग्लैंड के स्राव शुक्राणु को पोषण प्रदान करते हैं और उसके आगे जाने की प्रक्रिया को आसान बना देते हैं। मूत्रमार्ग शुक्राणुओं और मूत्र के लिए आम रास्ता बनाता है। मूत्रमार्ग शुक्राणु को लिंग तक ले जाता है, जो शरीर के बाहर खुलता है। प्रजनन के उद्देश्य से संभोग के दौरान पुरुष का शरीर लिंग से शुक्राणुओं को महिला के शरीर की योनि में प्रवेश कराता है।
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