Sarkari Naukri

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बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

Gyan


आखिर तक पढ़ना
1 मीनट लगेगा !!
एक बालक अपने
माँ-बाप की खूब सेवा किया करता था,
उसके दोस्त उससे भी कहते कि
अगर इतनी सेवा तुमने
भगवान की कि होती तो तुम्हे
भगवान मिल जाते !
लेकिन इन सब चीजो से
अनजान वो अपने
माता पिता की सेवा करता रहा !
एक दिन उसकी माँ बाप की
सेवा-भक्ति से खुश होकर
भगवान धरती पर आ गये !
उस वक्त वो बालक अपनी
माँ के पाँव दबा रहा था !
भगवान दरवाजे के बाहर से बोले-
दरवाजा खोलो बेटा
मैं तुम्हारी माता-पिता की सेवा से
प्रसन्न होकर तुम्हे
वरदान देने आया हूँ !
बालक ने कहा -
इंतजार करो प्रभु
मैं माँ की सेवा मे लगा हूँ !
भगवान बोले -
देखो मैं वापस चला जाऊँगा!
बालक ने कहा -
आप जा सकते है
भगवान मैं सेवा बीच मे
नही छोड़ सकता !
कुछ देर बाद
उसने दरवाजा खोला तो
क्या देखता है
भगवान बाहर खड़े थे !
भगवान बोले -
लोग मुझे पाने के लिये
कठोर तपस्या करते है
पर मैं तुम्हे सहज ही मे मिल गया
पर तुमने
मुझसे प्रतीक्षा करवाई !
बालक ने जवाब दिया -
हे ईश्वर ! जिस माँ बाप की सेवा ने
आपको मेरे पास आने को
मजबूर कर दिया
उन माँ बाप की सेवा बीच मे छोड़कर
मैं दरवाजा खोलने कैसे आता !
यही इस जिंदगी का सार है !
जिंदगी मे हमारे
माँ-बाप से बढ़कर कुछ नही है !
हमारे माँ-बाप ही
हमे ये जिंदगी देते है !
यही माँ-बाप अपना
पेट काटकर बच्चो के लिये
अपना भविष्य खराब कर देते है
इसके बदले
हमारा भी ये फर्ज बनता है कि
हम कभी उन्हे दुःख ना दे !
उनकी आँखो मे
आँसू कभी ना आये
चाहे परिस्थिति जो भी हो
प्रयत्न कीजियेगा! —











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