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शनिवार, 11 फ़रवरी 2017

General Knowledge Indian rock

General Knowledge Indian rock 

कुडप्पा चट्टान

 आंध्र प्रदेश के कुडप्पा जिले के नाम पर इस चट्टान का नामकरण किया गया है।कुडप्पा जिले मे यह चट्टान अर्द्धचंद्राकार स्वरूप में एक विशाल क्षेत्र मे पायी जाती है,जिसकी ऊंचाई लगभग 600 मीटर है। कुडप्पा क्रम की चट्टानों की निर्माण सामग्री शैल,स्लैट,क्वार्टजाइट तथा चूने के पत्थर की चट्टानों से प्राप्त हुई हैं।
 ये चट्टान मुख्य रूप से मध्य प्रदेश,राजस्थान,महाराष्ट्र,तमिलनाडु तथा हिमालय के कुछ क्षेत्रों मे स्थित है।
 इन चट्टानों से हमे तांबा,निकाल ,कोबाल्ट ,लोहा,मैंगनीज,संगमरमर,जॅास्पर,एस्बेस्टस ,डायमंड,चुने का पत्थर,बालू का पत्थर और सीसा आदि प्राप्त होता हैं।

विंध्यन पर्वत

 विंध्यन चट्टानों का निर्माण कुडप्पा चट्टानों के बाद हुआ है।इसका नामकरण विंध्याचल के नाम पर किया गया है।जल निक्षेपों के द्वारा निर्मित यह एक परतदार चट्टान हैं।
 इन चट्टानों का विस्तार लगभग एक लाख वर्ग किमी .क्षेत्र में हैं। यह पूरब में बिहार के सासाराम एवं रोहतास क्षेत्र से लेकर पश्चिम में राजस्थान के चित्तौड़गढ़ क्षेत्र तक तथा उत्तर में आगरा से लेकर दक्षिण मे होशंगाबाद तक फैली हुई है।
 विंध्यन चट्टानों से के कई प्रकार के खनिज प्राप्त हुए हैं; जैसे - चूने का पत्थर,बलुआ पत्थर,चीनी मिट्टी,अग्निप्रतिरोधक मिट्टी,वर्ण मिट्टी, तांबा,निकाल,कोबाल्ट,जॅास्पर,एस्बेस्टस,कोयला आदि इन चट्टानों से ही प्राप्त हुआ है। इन्हीं चट्टानों से पन्ना (मध्य प्रदेश) और गोलकुंडा (तेलंगाना) में हीरे भी मिलते हैं।

गोंडवाना चट्टान


 इस क्रम की चट्टानों का निर्माण काल ऊपरी कार्बोनीफेरस युग से जुरैसिक युग के बीच माना जाता है। ये चट्टानें भारत में संकरी घाटियों में पायी जाती हैं।प्रायद्वीपय भारत और बाह्य प्रायद्वीपीय भारत मे इनका विस्तार इस प्रकार है।
 प्रायद्वीपीय भारत मे दमोदर नदी की घाटी में ये चट्टानें राजमहल पहाड़ियों तक विस्तृत है,महानदी की घाटी में महानदी द्रोणी,गोदावरी तथा वेनगंगा व वर्धा नदी की घाटियों में,नागपुर तक दक्कन के मुख्य पठारी भाग मे,कच्छ,काठियावाड़,पश्चिमी राजस्थान,चेन्नई,कटक,विजयवाड़ा,राजमुंदरी,तिरूचिरापल्ली और रामनाथपुरम में मिलती हैं।
इस प्रकार यह चट्टान मुख्य रूप से झारखंड,मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में पाई जाती है।
 भारत का 98% कोयला केवल इन्हीं चट्टानों में पाया जाता है। गोंडवाना चट्टान से प्राप्त बलुआ पत्थर इमारतों के काम काम आता है। इसके अलावा चीका मिट्टी,लिग्नाइट कोयला,सीमेंट और रासायनिक उर्वरक आदि कई खनिज पर्दाथ इन चट्टानों से प्राप्त होते हैं।

दक्कन ट्रैप

इनका निर्माण ऊपरी क्रिटेशियस काल से लेकर इओसिन काल के बीच हुआ है।इसका विस्तार विभिन्न क्षेत्रों में है,परन्तु मुख्य रूप से यह महाराष्ट्र के अधिकांश भागों को घेरता हैं। इसके अलावा गुजरात,मध्य भारत और बिहार तथा तमिलनाडु के भी कुछ भागों में फैला हुआ है।
 दक्कन ट्रैप चट्टान उत्तम किस्म के पत्थर प्रदान करती हैं,जिसे भवन व सड़क निर्माण के काम मे प्रयोग किया जाता है। महाराष्ट्र के समीप कुछ हल्के रंग की ट्रैचिरिक चट्टानें मिलती हैं,जिनमें पकइराइट टौर केलसाराइट का कुछ अंश प्राप्त होता है।
 खंभात और रत्नागिरी से माणिक,अगेट आदि रत्न प्राप्त होते हैं। मध्य प्रदेश,महाराष्ट्र और बिहार मे बॅाक्साइट के जमाव भी मिलते है,जिसका उपयोग एल्यूमिनियम अयस्क के रूप में और पेट्रोलशोधन के लिए किया जाता है।कपास उत्पादन की दृष्टि से ये चट्टानें महत्वपूर्ण हैं।



आर्कियन चट्टान

भारत मे पाया जाने वाला सबसे प्राचीन चट्टान समूह हैं,जो प्रायद्वीप के 2/3 भाग को घेरता है यह आग्नेय शैलों द्वारा निर्मित है।
 इनका विस्तार मुख्य रूप से कर्नाटक,आंध्र प्रदेश,तमिलनाडु ,ओडिशा,बिहार के पठारी क्षेत्रों तथा राजस्थान के दक्षिणी -पूर्वी भाग पर हैं। आर्कियन क्रम की चट्टानों की विशेषता यह रवेदार होती है,पंरतु इसमे जीवाश्मों का सर्वथा अभाव होता है,क्योंकि आंतरिक शक्तियों का काफी प्रभाव इन चट्टानों पर पड़ा है।
ये चट्टानें विभिन्न प्रकार की है जैसे - नीस,ग्रेनाइट,शिष्ट,मार्बल,क्वार्ट्ज,लाइमस्टोन,डोलोमाइट,फिलाइट आदि।

धारवाड़ चट्टान

इन चट्टानों की उत्पत्ति कर्नाटक के धारवाड़ और शिमोगा जिले मे हुई है। ये प्रायद्वीपीय और बाह्य प्रायद्वीपीय दोनों ही क्षेत्रों में पाई जाती हैं। प्रायद्वीपीय धारवाड़ चट्टानें मुख्य रूप से दक्षिणी दक्कन प्रदेश में उत्तरी कर्नाटक से लेकर कावेरी तट तक मिलती हैं।कोलार क्षेत्र में 65 किमी .लंबी और 7 किमी .चौड़ी शिष्ट चट्टानों की पेटी प्राप्त हुई है।मैसूर क्षेत्र में भी ये संकरे लंबे मोड़ों के रूप में उपलब्ध हैं।
मध्यवर्ती व पूर्वी दक्कन मे विभिन्न नाम से विस्तृत है; यथा- बालघाट और भटिंडा में चिपली श्रेणी,नागपुर और जबलपुर में सागर श्रेणी,हजारीबाग और रींवा मे गोंडाइट श्रेणी तथा विशाखापत्तनम में कूदोराइट श्रेणी। अरावली के क्षेत्र में ऊपरी अरावली और निचली अरावली श्रेणियों के रूप में तथा दिल्ली और गुजरात में चम्पानेर श्रेणी के नाम से विस्तृत है।
भारत मे पायी जाने वाली समस्त चट्टानों में अर्थिक दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण चट्टान है। लगभग सभी धातुएं इन्हीं चट्टानों की देन हैं। ये धातुएं हैं - सोना ,तांबा,लोहा,मैगनीज,जस्ता,टंगस्टन,क्रोमियम।
कई खनिज पदार्थ भी प्राप्त हुए हैं। सीसा,अभ्रक,कोबाल्ट,फ्लूराइट,इल्मैनाइट,बजफ्राम,गारनेट,एस्बेस्टस,कोडम,और संगमरमर आदि। सोना मुख्य रूप से कोलार क्षेत्र में और धारवाड़ की घाटी में मिलता है तथा लोहा मुख्य रूप से बिहार,मध्य प्रदेश,ओडिशा,गोवा व कर्नाटक में मिलता है।

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