Sarkari Naukri

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गुरुवार, 31 मार्च 2016

WORLD HISTORY





● पोट्र्स माऊथ की संधि कब हुई— 1905 में
● ‘पीत आंतक’ से किसे संबोधित किया गया था— जापान
को
● समाजवाद शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया—रॉबर्ट
ओवेन ने
● ‘दास कैपिटल’ नामक पुस्तक किसने लिखी— कार्ल
मार्क्स
● फ्रांसीसी साम्राज्यवाद का जनक किसे
माना जाता है— सेंट साइमन को
● ‘चेका’ का संगठन किसने किया— लेनिन ने
● रूसी साम्यवाद का जनक किसे कहा जाता है—
गॉर्गी प्लेखानोव को
● रूस में ‘सोशल डेमोक्रेटिक दल’ की स्थापना कब
की गई— 1898 में
● ‘दुनिया के मजदूरों एक हो’ का नारा किसने दिया— कार्ल मार्क्स
● फेबियन सोसाइटी की स्थापना कहाँ
की गई— लंदन में
● फेबियन सोसाइटी की स्थापना कब हुई
— 1884 में
● रूस के शासक को क्या कहा जाता था— जार
● किस जार को मुक्तिदाता के नाम से जाना जाता था— अलेक्जेंडर
द्वितीय
● रूस का अंतिम जार कौन था— अलेक्जेंडर द्वितीय
● प्रथम विश्व युद्ध के समय लेनिन का नारा क्या था— ‘युद्ध का
अंत करो’
● स्थाई शांति हेतु सिद्धांत किसने दिया— ट्राटस्की
● लेनिन की मृत्यु कब हुई— 1924 में
● इंग्लैंड में गृह युद्ध कब हुआ— 1642 में
● इंग्लैंड में गृह युद्ध किसके शासन काल में हुआ— चार्ल्स
प्रथम
● ‘सौ वर्षीय युद्ध’ किस-किस के मध्य हुआ—
इंग्लैंड एवं फ्रांस के मध्य
● इंग्लैंड में गृह युद्ध के दौरान समर्थकों को क्या कहा जाता था
— कैवेलियर
● इंग्लैंड में गृह युद्ध के बाद वहाँ के शासक चार्ल्स प्रथम
को किस प्रकार की सजा दी गई—
फाँसी की सजा
● चार्ल्स प्रथम को फाँसी कब दी गई—
1649 ई.
● इंग्लैंड में रक्तविहीन क्रांति हुई, उस समय
इंग्लैंड का शासक कौन था— जेम्स द्वितीय
● जेम्स द्वितीय किस धर्म का अनुयायी
था— कैथोलिक धर्म का
● ‘कोर्ट ऑफ हाई कमान’ की स्थापना किसने
की— जेम्स द्वितीय
● जेम्स द्वितीय किस धर्म का अनुयायी
था— कैथोलिक धर्म का
● ‘कोर्ट ऑफ हाई कमान’ की स्थापना किसने
की— जेम्स द्वितीय ने
● जिस समय विलियम तृतीय को इंग्लैंड
की राजगद्दी पर बैठने का न्यौता दिया गया,
वह कहाँ का शासक था— हॉलैंड का
● ट्यूदर वंश से संबंधित कौन था— एलिजाबेथ प्रथम
● इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति का आरंभ किस उद्योग से हुआ—
सूती कपड़ा उद्योग से
● सर्वप्रथम पक्की सड़क बनाने की
विधि कहाँ निकाली गई— स्कॉटलैंड में
● किस व्यक्ति ने पक्की सड़क बनाने की
विधि निकाली— मैकेडम
● सर्वप्रथम नहर कब बनाई गई— 1761 में
● प्रथम नहर कहाँ से कहाँ तक निकाली गई—
मैनचेस्टर से वर्सले तक
● किस इंजीनियर द्वारा प्रथम नहर
निकाली गई— ब्रिडले
● भाप इंजन का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया— जार्ज
स्टीफेंसन ने
● भाप के इंजन का प्रयोग सर्वप्रथम कब हुआ— 1814 में
● सर्वप्रथम भाप इंजन का प्रयोग किसके लिए किया गया— खानों
से बंदरगाहों तक कोयला ले जाने के लिए
● औद्योगिक क्रांति की दौड़ में इंग्लैंड का
प्रतिद्वंद्वी राष्ट्र कौन-सा था— जर्मनी
● चीन व भारत के मध्य पंचशील सिद्धांतों
पर हस्ताक्षर कब हुए— 1954 ई.
● रोडेशिया का नाम जिंबाब्बे कब रखा गया— 1980 ई.
● यूरोप में यूरो मुद्रा का प्रचलन कब हुआ— 1999 ई.
● चीन की प्राचीन सभ्यता
का विकास कब हुआ— 2500 ई. पू.
● चीन की दीवार का निर्माण
कब हुआ— 220 ई. पू.
● मक्का में मोहम्मद साहब का जन्म कब हुआ— 570 ई.
पू.
● वाटरलू का युद्ध कब हुआ— 1815 ई.
● विश्व शांति के लिए बांडगु सम्मेलन कब हुआ— 1955 ई.
● ब्रिटेन के प्रथम प्रधानमंत्री कौन थे— राबर्ट
वालपोल
● ट्राल्फगर का युद्ध किस-किस के मध्य हुआ— नेपोलियन व
इंग्लैंड के बीच
● ‘यदि समाज में क्रांति लानी हो तो क्रांति का नेतृत्व
नवयुवकों के हाथ में दे दो’ यह किसने कहा था— जोसेफ
मेजिनी
● वैज्ञानिक समाजवाद का जनक किसे कहा जाता है— कार्ल
मार्क्स
● ‘कम्यूनिस्ट मैनीफेस्टो’ पुस्तक किसने
लिखी— कार्ल मार्क्स
● ‘शून्यवाद’ का जनक किसे कहा जाता है— तुर्गनेव
● आधुनिक रूस का निर्माता किसे माना जाता है— स्टालिन
● चीन की यात्रा करने वाला प्रथम
यूरोपीय कौन था— मार्को पोलो
● ‘मैं जानता हूँ यह प्रजातंत्र तब तक रहेग, जब तक में
जीवित हूँ। मेरे मरने के बाद प्रलय
होगी’ यह कथन किसका है— लुई प्रंदहवा


















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Gk in history




● वांडीवाश के युद्ध में अंग्रेजों का नेतृत्व किसने किया— सर आयर कूट ने

● चंद्रनगर की बस्ती फ्रांसीसियों को किसने भेंट की— शाइस्ता खाँ

● मुगल बादशाह ने किसे ‘नवाब की पदवी’ प्रदान की— डुप्ले को

● पांडिचेरी का गवर्नर जनरल बनने से पूर्व डुप्ले को कहां का गवर्नर नियुक्त किया गया था— चंद्रनगर

● डुप्ले के बाद पांडिचेरी का गवर्नर जनरल कौन बना— गोडेहू

● पुर्तगालियों ने गोवा पर अधिकार कब किया— 1510 में

● पुर्तगालियों ने सर्वप्रथम भारत में कौन-सी फसल की खेती आरंभ की— तंबाकू की खेती

● किसके शासन काल में अंग्रेजों ने दिल्ली पर कब्जा किया— शाह आलम II

● ‘मुंशी शिवगाँव की संधि’ किस युद्ध के पश्चात् हुई — पालखेड़ा के युद्ध के बाद

● ‘संगोला की संधि’ कब हुई— 1750 में

● ‘इलाहाबाद की संधि’ कब हुई— 1765 में

● ईस्ट इंडिया कंपनी को मान्यता कब मिली— 1600 ई.

● पांडिचेरी की स्थापना कब हुई— 1674 ई.

● पांडिचेरी की स्थापना किसने की— फ्रांसिस मार्टिन ने

● अंग्रेजों ने पांडिचेरी को फ्रांसिसियों से कब छीना— 1761 ई.

● रॉबर्ट क्लाइव का उत्तराधिकारी कौन था— वॉरेन हेस्टिंग्स

● भारत का प्रथम गवर्नर जनरल कौन था— लॉर्ड विलियम बैंटिंक

● ‘राज्य हड़प की नीति’ या ‘राज्यक्षय’ किसके द्वारा लागू की गई— लॉर्ड डलहौजी

● राज्य हड़प नीति के अंतर्गत कौन-से भारतीय राज्य कब्जे में किए गए— झाँसी, नागपुर, सतारा, जयपुर,
अवध, संबलपुर

● भारत का प्रथम वायसराय कौन था— लॉर्ड कैनिंग

● तीसरे आंग्ल-मैसूर युद्ध को रोकने के लिए टीपू सुल्तान ने कौन-सी संधि की— श्रीरंगपट्टम की संधि

● 1757 ई. में क्लाइव ने किसे पराजित किया— सिराजुदौला

● प्लासी के युद्ध में अंग्रेजी सेना नेतृत्व किसने किया—रॉबर्ट क्लाइव ने

● बक्सर का युद्ध कब हुआ— 1764 ई.

● बक्सर के युद्ध में अंग्रेजी सेना का नेतृत्व किसने किया— हेक्टर मुनरो

● सुगौली की संधि किस-किस के बीच हुई— ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के बीच

● टीपू सुल्तान की मृत्यु कहाँ हुई— श्रीरंगपट्टम

● ठगी प्रथा के उन्मूलन में कौन-से गवर्नर जनरल की प्रमुख भूमिका थी— विलियम बैंटिंक

● वोडयार किसके शासक थे— मैसूर रियासत के

● टीपू सुल्तान की राजधानी कहाँ थी— श्रीरंगपट्टनम

● क्लवाइव को बंगाल का गवर्नर कब बनाया गया— 1757 ई.

● द्वैध शासन का अंत किसने किया था— वॉरेन हेस्टिंग्स

● अंग्रेजों का सबसे अधिक विरोध किसने किया— मराठों न



















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Gk In Tools





1) अल्टीमीटर → उंचाई सूचित करने हेतु वैज्ञानिक यंत्र
2) अमीटर → विद्युत् धारा मापन
3) अनेमोमीटर → वायुवेग का मापन
4) ऑडियोफोन → श्रवणशक्ति सुधारना
5) बाइनाक्युलर → दूरस्थ वस्तुओं को देखना
6) बैरोग्राफ → वायुमंडलीय दाब का मापन
7) क्रेस्कोग्राफ → पौधों की वृद्धि का अभिलेखन
8) क्रोनोमीटर → ठीक ठीक समय जान्ने हेतु जहाज में लगायी जाने वाली घड़ी
9) कार्डियोग्राफ → ह्रदयगति का मापन
10) कार्डियोग्राम → कार्डियोग्राफ का कार्य में सहयोगी
11) कैपिलर्स → कम्पास
12) डीपसर्किल → नतिकोण का मापन
13) डायनमो→ यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् उर्जा में बदलना
14) इपिडियास्कोप → फिल्मों का पर्दे पर प्रक्षेपण
15) फैदोमीटर → समुद्र की गहराई मापना
16) गल्वनोमीटर → अति अल्प विद्युत् धारा का मापन
17) गाड्गरमुलर → परमाणु कण की उपस्थिति व् जानकारी लेने हेतु
18) मैनोमीटर → गैस का घनत्व नापना
19) माइक्रोटोम्स → किसी वस्तु का अनुवीक्षनीय परिक्षण हेतु छोटे भागों में विभाजित करता है।
20) ओडोमीटर → कार द्वारा तय की गयी दूरी बताता है।
21) पेरिस्कोप → जल के भीतर से बाहरी वस्तुएं देखि जाती हैं।
22) फोटोमीटर → प्रकाश दीप्ति का मापन
23) पाइरोमीटर → अत्यंत उच्च ताप का मापन
24) रेडियोमीटर → विकिरण द्वारा विकरित उर्जा का मापन
25) सीज्मोमीटर → भूकंप की तीव्रता का मापन
26) सेक्सटेंट → ग्रहों की उंचाई जानने हेतु
27) ट्रांसफॉर्मर → प्रत्यावर्ती धारा की वोल्टता में परिवर्तन करने हेतु
28) टेलीप्रिंटर → टेलीग्राफ द्वारा भेजी गयी सूचनाओं को स्वतः छापने वाला यंत्र
29) टैक्सीमीटर → टैक्सीयों में किराया दर्शाने वाला यंत्र
30) टैकोमीटर → मोटरबोट व् वायुयान का वेगमापक
31) टेलीस्कोप → दूरस्थ वस्तुओं को देखने में सहायक यंत्र
32) जाइरोस्कोप → घूमती वस्तु की गतिकी का अध्ययन
33) ग्रेवीमीटर → जल में उपस्थित तेल क्षेत्रों का पता लगाना
34) ग्रामोफोन → रिकार्ड पर उपस्थित ध्वनि को पुनः सुनाने वाला यंत्र
35) कायमोग्राफ → रक्तदाब, धडकन का अध्ययन
36) कायनेस्कोप→ टेलीविजन स्क्रीन के रूप में
37) कैलिपर्स → छोटी दूरियां मापने वाला यंत्र
38) कैलोरीमीटर → ऊष्मामापन का कार्य
39) कार्ब्युरेटर → इंजन में पेट्रोल का एक निश्चित भाग वायु में भेजने वाला यंत्र
40) कम्पास → दिशा ज्ञान हेतु प्रयुक्त
41) कम्प्यूटेटर → विद्युत्धारा की दिशा बताने वाला यंत्र
42) एपिकायस्कोप → अपारदर्शी चित्रों को पर्दे पर दिखाना
43) एपिडोस्कोप → सिनेमा में पर्दे पर चित्रों को दिखाना
44) एस्केलेटर → चलती हुई यांत्रिक सीढियां
45) एक्सियरोमीटर → वायुयान का वेगमापक
46) एक्टियोमीटर → सूर्य किरणों की तीव्रता मापने का यंत्र
47) एयरोमीटर → गैसों का भार व् घनत्व मापक
48) एक्युमुलेटर → विद्युत् उर्जा संग्राहक
49) ओसिलोग्राफ → विद्युत् अथवा यांत्रिक कम्पन सूचित करने हेतु
50) स्टेथोस्कोप → ह्रदय व् फेफड़े की गति के अध्ययन हेतु
51) स्फिग्नोमैनोमीटर → धमनियों में रक्तदाब की तीव्रता ज्ञात करना।।
52) जीटा → शून्य उर्जाताप नाभिकीय संयोजन
53) डेनियल सेल → परिपथ में विद्युत् उर्जा प्रवाहित करने हेतु
54) डिक्टाफोन → बातचीत रिकार्ड करके पुनः सुनाने वाला यंत्र
55) डायलिसिस → गुर्दे खराब होने पर रक्त शोधन हेतु
56) थर्मामीटर → ताप मापन हेतु
57) थर्मोस्टेट → ताप स्थाई बनाये रखने हेतु
58) हिप्सोमीटर → समुद्र तल से उंचाई ज्ञात करने हेतु
59) हाइड्रोफोन → पानी के भीतर ध्वनि अंकित करना
60) स्पेक्ट्रोमीटर →प्रकाश का अपवर्तनांक ज्ञात करना
61) हाइड्रोमीटर → द्रवों की आपेक्षिक आर्द्रता ज्ञात करना
62) हाइग्रोमीटर → वायु की आपेक्षिक आर्द्रता ज्ञात करना
63) स्टीरियोस्कोप → फोटो को पर्दे पर त्रिविमीय रूप में दिखाना
64) वानडीग्राफ जनरेटर → उच्च विभवान्तर उत्पन्न करना
65) वोल्टामीटर → विभवान्तर मापना
66) लैक्टोमीटर → दूध की शुद्धता मापना
67) रिफ़्रैक्टोमीटर → माध्यमों के अपवर्तनांक ज्ञात करना।
68) रेन गेज → वर्षा की मात्रा का मापन
69) रेडिएटर → वाहनों के इंजन को ठंडा रखना
70) रेफ्रिजरेटर ;:: विशेषतः खाद्य पदार्थों को ठंडा रखना
71) राडार → वायुयान की स्थिति ज्ञात करना
72) माइक्रोमीटर → अति लघु दूरियां नापना
73) मेगाफोन → ध्वनि को दूरस्थ स्थानों पर ले जाना
74) बैटरी → विद्युत् उर्जा का संग्रहण
75) बैरोमीटर → वायुदाब का मापन


















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Gk in Science



द्रव्य व उसकी प्रकृति



हर वह वस्तु जिसमें भार होता है और जगह घेरती है, उसे द्रव्य कहते हैं। किसी भी वस्तु में द्रव्य की मात्रा को द्रव्यमान (mass) कहते हैं


वर्गीकरण
हम द्रव्य को शुद्ध पदार्थ तथा मिश्रण में वर्गीकृत कर सकते हैं। द्रव्य का वर्गीकरण तत्व, यौगिक और मिश्रण में भी किया जाता है। 
तत्व (Element)- वह पदार्थ जो न तोड़ा जा सकता है और न ही दो या अधिक साधारण पदार्थों से भौतिक या रासायनिक प्रक्रियाओं द्वारा बनाया जा सकता है, तत्व कहलाता है। उदाहरण- ताँबा (Cu), चाँदी (Ag), हाइड्रोजन (H) आदि। 

यौगिक (Compound)- दो या अधिक तत्वों का निश्चित अनुपात में संयोजन यौगिक कहलाता है। यह किसी विधि द्वारा दो या अधिक तत्वों में विभाजित किया जा सकता है। इन यौगिकों के गुणधर्म इनके घटक तत्वों से बिल्कुल ही भिन्न होते हैं। उदाहरण- जल, शर्करा, लवण, क्लोरोफॉर्म आदि। 

मिश्रण (Mixture)- जब हम किसी भी दो या अधिक पदार्थ, तत्व या यौगिक को अनिश्चित अनुपात में मिलाते हैं तो प्राप्त होने वाले पदार्थ को मिश्रण कहा जाता है। मिश्रण में घटकों का गुण धर्म अपरिवर्तित रहता है। उदाहरण- पेट्रोल, वायु, औषधि इत्यादि। मिश्रण को समांगी (Homogeneous) व असमांगी (Heterogeneous)- दो प्रकारों में विभाजित किया जाता है। 


आवोग्रादो परिकल्पना व मोल (द्वशद्यद्ग) की संकल्पना



इस परिकल्पना के अनुसार सभी गैसों के समान आयतन में समान ताप व दाब पर समान संख्या में कण पाए जाते हैं। प्रयोगों में यह पाया गया है कि मानक ताप व दाब अर्थात 273ok के ताप और पारे के 76 सेमी. दाब पर सभी गैसों का एक ग्राम आण्विक द्रव्यमान 22.4 ली. आयतन घेरता है। इस आयतन को मानक मोलर आयतन (Standard Molar Volume) कहते हैं।


आवोग्रादो परिकल्पना के अनुसार मानक ताप व दाब पर सभी गैसों के 22.4 ली. आयतन में अणुओं की संख्या स्थिर होती है। इस आयतन में 6.023 x 1023 अणु पाए जाते हैं। इस संख्या को आवोग्रादो संख्या कहते हैं। 






द्रव्य का गतिज सिद्धान्त
अणुओं में गतिज ऊर्जा (Kinetic energy) होती है और द्रव व गैस के अणु संपूर्ण आयतन में मुक्त रूप से घूमते रहते हैं। गैस के अणु निरंतर यादृच्छिक (Random) गति में होते हैं और पात्र की दीवार पर दबाव डालते हैं। तापमान की वृद्धि करने से गैसों के अणुओं की गतिज ऊर्जा में भी वृद्धि हो जाती है। 






रासायनिक अभिक्रियाएँ तथा रासायनिक समीकरण
रासायनिक समीकरण को रासायनिक क्रिया या रासायनिक अभिक्रिया भी कहते हैं। वह प्रक्रम (Process) जिसमें दो या अधिक पदार्थों (तत्व तथा यौगिक) की पारस्परिक अभिक्रिया से जब कोई एक या अधिक नए पदार्थ बनते हैं, रासायनिक अभिक्रिया कहलाता है। रासायनिक अभिक्रियाएँ मुख्यत: चार प्रकार की होती हैं- संयोजन, अपघटन, विस्थापन तथा उभय अपघटन (double decomposition) ।
किसी भी रासायनिक अभिक्रिया को प्रदर्शित करने का सबसे सरल तरीका उसे रासायनिक समीकरणों में लिखना है। 


परमाणु संरचना (Atomic Structure) 
सन् 1808 में ब्रिटेन के भौतिकशास्त्री जॉन डाल्टन ने बताया कि पदार्थ अत्यन्त छोटे-छोटे अविभाज्य कणों से मिलकर बना होता है, जिन्हें परमाणु कहते हैं। इसका स्वतंत्र अस्तित्व संभव है। बाद में प्रसिद्ध वैज्ञानिक जे. जे. थॉमसन व रदरफोर्ड ने बताया कि परमाणु अविभाज्य नहीं है, बल्कि यह छोटे-छोटे आवेशित कणों से मिलकर बना होता है। आधुनिक अवधारणा के अनुसार परमाणु धनावेशित प्रोटानों, ऋणावेशित इलेक्ट्रॉनों व उदासीन न्यूट्रॉनों से मिलकर बना होता है। परमाणु के केंद्र में एक नाभिक होता है, जिसमें प्रोटॉन व न्यूट्रॉन उपस्थित रहते हैं। इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। परमाणु का समस्त द्रव्यमान इसके नाभिक में केंद्रित रहता है। 


रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल-


सन् 1911 में अंग्रेज भौतिकशास्त्री रदरफोर्ड ने धातु पन्नों पर ड्ड-कणों की बमबारी करके परमाणु संरचना के संदर्भ में महत्वपूर्ण निष्कर्ष प्राप्त किए- 
परमाणु का अधिकांश भाग खोखला है। 

परमाणु के केंद्र में अति सूक्ष्म स्थान में एक धनावेशित भाग है। 

धनावेश अत्यन्त सघन व दृढ़ भाग में संकेंद्रित है जिसे नाभिक कहते हैं। नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रॉन विभिन्न कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं। 


परमाणु का बोह्र मॉडल-


1913 में डेनिस भौतिकशास्त्री नील बोह्र ने रदरफोर्ड मॉडल में कमियों को दूर करने का प्रयास किया, जिनकी प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं- 
इलेक्ट्रॉन केवल कुछ ऐसी सुनिश्चित कक्षाओं में घूमते हैं जिनमें उनकी ऊर्जा का उत्सर्जन नहीं होता। इन्हें स्थायी कक्षायें (Stable orbits) कहते हैं। 

जब इलेक्ट्रॉन किसी उच्च ऊर्जा वाली कक्षा से निम्न ऊर्जा वाली कक्षा में लौटता है तो वैद्युत चुम्बकीय तरंगों के रूप में ऊर्जा का उत्सर्जन करता है। 


परमाणु क्रमांक (Atomic Number)-


किसी तत्व के परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या को उस तत्व का परमाणु क्रमांक कहते हैं। 
परमाणु क्रमांक = प्रोटॉनों की संख्या = इलेक्ट्रॉनों की संख्या



द्रव्यमान संख्या (Mass Number) -


किसी तत्व के परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों व न्यूट्रॉनों की संख्याओं का योग, द्रव्यमान संख्या कहलाता है। 
द्रव्यमान संख्या = प्रोटॉनों की संख्या+न्यूट्रॉनों की संख्या



परमाणु भार (Atomic Weight) -


किसी तत्व का परमाणु भार वह संख्या है, जो प्रदर्शित करती है कि तत्व का एक परमाणु कार्बन परमाणु के 1/12 भाग से कितना गुना भारी है।



अणु (Molecules) -


पदार्थ अणुओं से मिलकर बने होते है और अणु परमाणुओं से। अणु किसी पदार्थ के वे सूक्ष्मतम कण होते हैं जो स्वतंत्र अवस्था में रह सकते हैं और उसमें पदार्थ के समस्त गुण उपस्थित रहते हैं।



अणुभार (Molecular Weight)-


किसी पदार्थ का अणुभार वह संख्या है जो यह प्रदर्शित करता है कि उस पदार्थ का एक अणु कार्बन-12 समस्थानिक (isotope) के एक परमाणु के भार के 1/12 भाग से कितना गुना भारी है।



ग्राम अणु भार (Gram Molecular Weight)-


जब किसी पदार्थ के अणुओं का भार ग्राम में प्रदर्शित किया जाता है तो उसे ग्राम अणु भार कहते हैं। प्रत्येक पदार्थ के 1 ग्राम अणु में उस पदार्थ के 6.023&1023 अणु होते हैं।



समास्थानिक (Isotopes) -


किसी तत्व के परमाणु जिनके परमाणु क्रमांक समान व परमाणु भार भिन्न-भिन्न होते हैं, समस्थानिक कहलाते हैं। हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक हैं जिन्हें 1h1, 1h2, 1h3 से प्रदर्शित करते हैं।



समभारिक (Isobars)-


भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणु जिनके परमाणु क्रमांक भिन्न-भिन्न परंतु द्रव्यमान संख्या समान होते हैं, समभारिक कहलाते हैं। कार्बन तथा नाइट्रोजन की द्रव्यमान संख्या 14 है, अत: ये समभारिक हैं।



समन्यूट्रॉनिक (Isotones) -


जिन परमाणुओं में न्यूट्रॉनों की संख्या समान होती है, समन्यूट्रॉनिक कहलाते हैं। उदाहरण 6c13व 7N14 समन्यूट्रॉनिक हैं।



समावयवता (Isomerism)-


कुछ यौगिक ऐसे होते हैं जिनके अणु सूत्र तो समान होते हैं, परंतु संरचनात्मक सूत्रों में भिन्नता के कारण ऐसे यौगिकों के गुण भी भिन्न-भिन्न होते हैं। उदाहरण- एथिल अल्कोहल व डाइमेथिल ईथर एक दूसरे के समावयवी हैं।



अपररूपता (Allotropy)-


जब एक ही तत्व भिन्न-भिन्न रूपों में पाया जाता है तो ये रूप उस तत्व के अपररूप कहलाते हैं। हीरा व कार्बन के दो अपररूप हैं। अपररूपों के भौतिक व रासायनिक गुण एक दूसरे से भिन्न होते हैं।



हाइड्रोजनीकरण-


यह हाइड्रोजन उपयोग करने की बहुत ही महत्वपूर्ण औद्योगिक विधि है। जब गर्म तत्व वनस्पति तेल में निकिल (उत्प्रेरक) की उपस्थिति में तीव्र हाइड्रोजन प्रवाहित किया जाता है तो वनस्पति तेल ठोस वसा में परिवर्तित हो जाता है जिसे वनस्पति घी कहा जाता है। इस प्रक्रिया को ही हाइड्रोजनीकरण कहते हैं।



उत्प्रेरक-


1835 में बर्जीलियस ने देखा कि कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जो रासायनिक क्रियाओं के वेग को प्रभावित करते हैं। परंतु रासायनिक क्रिया के फलस्वरूप ऐसे पदार्र्थों की संरचना या गुणधर्म अप्रभावित रहते हैं। ऐसे पदार्र्थों को उत्प्रेरक कहते हैं और इस प्रक्रिया को उत्प्रेरण कहते हैं।






तत्वों की आवर्त तालिका (Periodic table of Elements) - 
1869 में रूस के वैज्ञानिक दमित्री इवान विच मैंडलीफ ने प्रतिपादित किया कि अगर तत्वों को उनके परमाणु भार के क्रम से लिखा जाए तो उनके गुणधर्मों में एक स्पष्टï आवर्तन नजर आता है। इस आवर्त तालिका में क्षैतिज तथा उध्र्वाधर स्तम्भ (columns) होते हैं। आवर्त सारिणी में कुल मिलाकर 7 आवर्त (क्षैतिज स्तम्भ) तथा 18 समूह (Groups, उध्र्वाधर स्तम्भ) हैं। किसी भी एक उपसमूह में सभी तत्वों की विशेषताएँ समान होती हैं। 






रासायनिक बंध (Chemical Bonding)



विभिन्न तत्वों के परमाणु रासायनिक अभिक्रिया करके आपस में आबंध निर्माण करते हैं तो उस क्रिया को रासायनिक बंधन कहते हैं। इस प्रकार तत्वों के परमाणु रासायनिक बंधन द्वारा नए अणुओं का निर्माण करते हैं। यह बंधन परमाणु के बाह्यïतम कक्षा में स्थित इलेक्ट्रॉन से बनता है। रासायनिक बंधन निम्नलिखित हैं- 
वैद्युत संयोजकता (Electrovalency)- वैद्युत संयोजक तब बनता है जब एक परमाणु से इलेक्ट्रॉन पूर्णत: दूसरे तत्व के परमाणु में स्थानांतरित होते हैं। ऐसे बंध आयनिक बंध भी कहलाते हैं। उदाहरणार्थ, सोडियम क्लोराइड (हृड्डष्टद्य) का बनना। 

सह संयोजकता (Co-valency)- दो परमाणुओं के संयुक्त होने का वह प्रक्रम जिसमें इलेक्ट्रॉनों की पारस्पारिक साझेदारी होती है, सह-संयोजकता कहलाती है। उदाहरण- क्लोरीन अणु का बनना। 

उपसह-संयोजकता (Co-ordinate)- सह-संयोजकता में सह-भाजित इलेक्ट्रॉन युग्म की रचना के लिए प्रत्येक संयोजी परमाणु का एक-एक इलेक्ट्र्ॉन भाग लेता है। परंतु बहुत से ऐसे भी अणु हैं जिनमें सह-भाजित इलेक्ट्रॉन युग्म संयोजी परमाणुओं में से किसी एक ही परमाणु द्वारा दिये जाते हैं, परंतु इलेक्ट्रॉन का सह-भाजन दोनों परमाणुओं के बीच होता है। इस प्रकार के बंध को उपसह-संयोजक (Co-ordinate Bond) कहते हैं।

संयोजकता का सिद्धान्त (Theory of Valency)- तत्वों के परमाणुओं के परस्पर संयोजन करने की क्षमता को संयोजकता (Valency) कहते हैं। किसी तत्व की संयोजकता उसके परमाणु के बाहरी कक्षा में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर निर्भर करती है।





















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